ये अदब और ये संस्कार है हमारी कौम के जो नमस्कार भी सलीके से करती है।
क्षत्रिय वही है जिनका आचरण और व्यवहार क्षत्रियोचित है।
हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है।
जय जय राजपुताना।।
ये है क्षत्राणियो के संस्कार।।।
अपने से बड़े को ऐसे प्रणाम करती है हमारी संस्कृति।🔰
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आर्य क्षत्रिय गिरासदार राजपूत समाज |
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